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हर माता-पिता को जाननी चाहिए:

1. स्क्रीन टाइम का अत्यधिक उपयोग (Excessive Screen Time)

आज के डिजिटल युग में बच्चे औसतन 3–6 घंटे मोबाइल, टैबलेट, लैपटॉप और टीवी पर बिता रहे हैं। छोटे बच्चों में YouTube, गेम्स और सोशल मीडिया कंटेंट की लत बढ़ रही है। इसके कारण:

  • आँखों में थकान, सिरदर्द, और चश्मे की ज़रूरत बढ़ रही है।
     
  • ध्यान भटकाव, चिड़चिड़ापन और नींद की गुणवत्ता में गिरावट देखी गई है।
     
  • सामाजिक कौशल (social skills) कमजोर हो रहे हैं क्योंकि बच्चे असली बातचीत की बजाय वर्चुअल कंटेंट में उलझे रहते हैं।

2. भावनात्मक दबाव और साइबरबुलिंग (Emotional Stress & Cyberbullying)

बढ़ती उम्र के बच्चों पर सोशल मीडिया, स्कूल और सहपाठियों का मानसिक दबाव तेज़ी से असर डाल रहा है।

  • ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर अपमान, मज़ाक और ट्रोलिंग से आत्मसम्मान को गहरी चोट पहुंचती है।
     
  • कई बच्चों में उदासी, आत्म-ग्लानि, एकाकीपन, या गुस्से वाले व्यवहार उभर रहे हैं।
     
  • माता-पिता को बिना शर्त संवाद और भावनात्मक जुड़ाव बनाए रखना बेहद जरूरी है।

3. शिक्षा में संसाधनों की कमी (Lack of Educational Resources)

भारत के कई इलाकों, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है:

  • बेंच-डेस्क न होना, बच्चों का फर्श पर बैठना
     
  • टॉयलेट, खेल का मैदान, पीने के पानी जैसी आवश्यक सुविधाएँ नहीं होना
     
  • टीचिंग-क्वालिटी में असमानता और पढ़ाने के नवाचार का अभाव
     

इन हालात में बच्चे स्कूल से जुड़ाव महसूस नहीं करते, और धीरे-धीरे ड्रॉपआउट रेट बढ़ता है।

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